Add To collaction

लेखनी कहानी -15-Jun-2022 उसका यकीन उठ गया

तुम्हे अब भी मुझसे मुहब्बत हैं हद हैं,
तेरे दिल मे मेरे लिए   चाहत हैं हद हैं!
 
बस दिखावे  की ही इबादत  हैं हद हैं,
दिल  में कदूरत ही कदूरत  हैं  हद  हैं!

मजनू  इस  दौर  में  भी पीटे  जाते हैं,
करते  फिर  भी  मुहब्बत   हैं  हद  हैं!

हराम  माल खाने  से  शर्म नहीं आती,
और कहते हैं इसी में बरकत हैं हद हैं!

तेरे सुखन अच्छे भी नहीं 'तनहा' और,
लोग करते इन्ही से  मुहब्बत हैं हद हैं।

तारिक़ अज़ीम तनहा'

   10
0 Comments